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कोरोना की जंग





कोरोना की जंग

      *कोरोना की जंग*(आल्हा/वीर छंद16/15)

बढ़ता जाय कहर कोरोना, दें इसको हम सभी भगाय,
शासन अपना जैसा कहता,अपनाएँ हम वही उपाय।
साफ-सफाई करते रहना,घर-आँगन-चौबारा-गाँव-
बना-बना कर दूरी चलना,करें सुरक्षा सबकी धाय।।

लौट शहर से आते जो भी,उनका भी है रखना ख्याल,
भोजन-पानी,रुपया-पैसा,करें व्यवस्था मिलकर आज।
नहीं भूख से मरने पाएँ, उनके बच्चों सँग परिवार-
सब मिल उनको रोजगार दें,छोड़े शहर गाँव जो आय।।

शासन और प्रशासन-सेवा,और चिकित्सा के सब लोग,
सबका मिल सम्मान करें हम,प्रेम-भाव से घटता रोग।
रखें नासिका-मुख को ढक कर,नहीं मिलाएँ अपना हाथ-
अगर जरूरत पड़ती है तो,रहें अकेल कहीं पर जाय।।

खान-पान सादा-साधारण,करते रहना मिल-जुल साथ,
ताज़ी सब्ज़ी,फल भी ताज़ा,सेवन करना धोकर हाथ।
योग-ध्यान,शारीरिक श्रम भी,करना इन्हें लगाकर ध्यान-
निश्चित मिलेगी जीत शत्रु पर,सकेंगे हम सब शत्रु भगाय।।

जालिम दुश्मन रोग कोरोना,मार गिराने की यह राह,
स्वयं नियंत्रण,अनुशासन की,सबको रखनी है अब चाह।
दृढ़प्रतिज्ञ हों सब जन मिलकर,करें कर्म जब डटकर साथ-
विजय मिलेगी निश्चित हमको,होकर प्रमुदित मन हर्षाय।।

                  ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                     9919446372
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